” तोता “
“तोता”
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रंग इसका होता, हरा- लाल;
बोली इसकी, होती कमाल।
जो ये कभी सुन ले एकबार;
बोले वो शब्द, सदा बारंबार।
इसकी गर्दन भी होती, ढीली;
चोंच होती, बहुत ही नुकीली।
पक्षी है ये, बड़ा ही बेमिसाल;
भोजन भी होता, मिर्ची लाल।
जब फसता यह, मानव-जाल;
तब होता इसका, हाल-बेहाल।
फिर पिंजरा ही, इसका संसार;
पिंजरे में ही बिकता ये, बाजार।
….✍️प्रांजल
….. कटिहार।।