Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Sep 2024 · 1 min read

तोड़ दो सारी हदें तुम हुस्न से दीदार की ।

तोड़ दो सारी हदें तुम हुस्न से दीदार की ।
मान लो बातें हमारी इश्क़ भी और प्यार भी ।
साथ छोड़ो उस जहां जिसमें धोखा दे गया।
साथ मेरे तुम चलो जी अब मान लो इस यार की ।।
फूल गुफरान

91 Views

You may also like these posts

" हौंसला ही साथ देगा ----- "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
खुशियों की सौगात
खुशियों की सौगात
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Relations
Relations
Chitra Bisht
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
Dr Archana Gupta
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
Abhijeet
रंगों की होली
रंगों की होली
Karuna Bhalla
फिर वही
फिर वही
हिमांशु Kulshrestha
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
Lokesh Sharma
* काव्य रचना *
* काव्य रचना *
surenderpal vaidya
जब व्यक्ति वर्तमान से अगले युग में सोचना और पिछले युग में जी
जब व्यक्ति वर्तमान से अगले युग में सोचना और पिछले युग में जी
Kalamkash
!! रे, मन !!
!! रे, मन !!
Chunnu Lal Gupta
इंतजार की घड़ियां
इंतजार की घड़ियां
C S Santoshi
" समझ "
Dr. Kishan tandon kranti
अमृत और विष
अमृत और विष
Shekhar Deshmukh
*सत्पथ पर चलना सिखलाते, अग्रसेन भगवान (गीत)*
*सत्पथ पर चलना सिखलाते, अग्रसेन भगवान (गीत)*
Ravi Prakash
4792.*पूर्णिका*
4792.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्यारे बादल
प्यारे बादल
विजय कुमार नामदेव
🔘सुविचार🔘
🔘सुविचार🔘
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
Nitin Kulkarni
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
नजर से मिली नजर....
नजर से मिली नजर....
Harminder Kaur
तू अपनी खूबियां ढूंढ ....कमियां निकालने के लिए लोग हैं |
तू अपनी खूबियां ढूंढ ....कमियां निकालने के लिए लोग हैं |
पूर्वार्थ
फिर मुझे तेरी याद आई
फिर मुझे तेरी याद आई
Jyoti Roshni
प्यार का सार है त्याग की भावना
प्यार का सार है त्याग की भावना
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
किस्तों में सोया है हमने
किस्तों में सोया है हमने
Diwakar Mahto
■ जिसे जो समझना समझता रहे।
■ जिसे जो समझना समझता रहे।
*प्रणय*
वो भी क्या दिन थे
वो भी क्या दिन थे
सुशील भारती
जिंदा मनुख
जिंदा मनुख
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
स्त्रियाँ
स्त्रियाँ
Shweta Soni
देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
शेखर सिंह
Loading...