तोड़ देना चाहे ,पर कोई वादा तो कर
तोड़ देना चाहे ,पर कोई वादा तो कर।
मेरा महबूब है,तो कोई इशारा तो कर।।
आ तो सही,भले ही आकर चले जाना।
रोकूं नही मै,प्यास बुझाकर चले जाना।।
इंतजार कर रही हूं,इतना इंतजार तो न करा।
तड़प रही हूं ,इस तड़पन को और तो न बढ़ा।।
मेरे करीब आकर,अब कही दूर तो न जा।
मेरे पास आकर, दूसरी के पास तो न जा।।
इन दूरियों को,अब और तो तू न बढ़ा।
भले प्यार न कर,सूली पर तो न चढ़ा।।
जो वादा किया है,उस पर कुछ ठहर तो जा।
भले पूरा न कर,आकर मेरे पास मुकर तो जा।।
रस्तोगी ने जो लिखा,उसे आगे तो न बढ़ा।
बाते बहुत बढ़ चुकी,उसे और तो न बढ़ा।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम