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9 Oct 2017 · 1 min read

तोड़ दूं कैसे पैमाने

तोड़ दूं कैसे पैमाने,
उसमें तू बसती है
मैं जब चाहूं तू मिल जाए
मेरे जख्मों पर,फिर मरहम लगाए
सुकून थोड़ा सा मुझे मिलता है
तेरे नाम का प्याला प्रीतम
जब थोड़ा छलकता है
लगता है मैं खाने के, सारे प्याले पी जाऊं
डर लगता कल क्या होगा, कैसे तुझसे मिल पाऊं
मैं खाने जाना,बस मेरी मजबूरी है
बस मैं तुझसे मिल पाऊं,बात अभी अधूरी है
गर तू मिल जाए मुझे, सारे पैमाने तोड़ दूं
शराब तो क्या है,सांस भी लेना छोड़ दूं..

रंजीत घोसी

Language: Hindi
297 Views
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