तोटक छन्द
तोटक छन्द, द्वतीय प्रयास
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सलगा सलगा सलगा सलगा
हरि नाम सभी जप लो मुख से।
सिय राम सदा कह लो सुख से।
जब राम जपा करते नर हैं।
तम दूर सभी करते प्रभु हैं।
सिय राम बसे जिनके मन में।
दुःख दूर हुए उनके तन से।
जप जो हरि नाम सदा करते।
भव-ताप दुखी उनके हरते।
जपलें सब वृद्ध जपें तनुजा।
जपलें सुत और जपें मनुजा।
मनवा जप ले जय राम हरे।
नर तू जप ले घनश्याम हरे।
जप माधव मोहन कृष्ण हरे।
मधुसूदन पालनहार हरे।
रघुनंदन कौसलनाथ हरे।
भज मारुत नंदन नंद हरे।
-अभिनव मिश्र✍️✍️
(शाहजहांपुर)