तोटक छंद आधारित मुक्तक
आधार छंद- “तोटक” (मापनीयुक्त वर्णिक, 12 वर्ण)
वर्णिक मापनी- ललगा ललगा ललगा ललगा
ध्रुव शब्द- “विष”
ॐ
शिव वंदन तो भगवान किये।
सुत अंजन के हनुमान किये।
विष वारिधि मंथन से निकला-
जग हेतु शिवा विषपान किये।
विष जीवन में सब घोल रहे।
निज राह में’ कंटक मोल रहे।
जब फिक्र नहीं उनको खुद की-
फिर व्यर्थ उन्हें तुम बोल रहे।
मुझको निज मित्र जो’ बोल रहे।
हृद नश्तर से अब खोल रहे।
अपना दुख हाय कहूँ अब क्या,
मृदु बोल रहे विष घोल रहे।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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