तेवरी :– जीना सीखो रौब से !!
तेवरी :– जीना सीखो रौब से !!
— अनुज तिवारी “इन्दवार”
जीना सीखो रौब से ,
जाग उठो तुम ख्वाब से , सोना तो समसान है !
कुछ सर्तों की होड़ मे ,
गदहों की घुड़दौड़ मे , क्यों भटके इनसान है !
घाट छोड़ा सन्देह मे ,
इस माटी की देह मे , क्या तेरी पहचान है !
भाँप क्रूर स्वभाव को ,
गूढ तरुण सदभाव को , क्यों फिरता अंजान है !