तेवरी :– क्या रख्खा शृंगार में !!
तेवरी :– क्या रख्खा श्रृंगार मे !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”
जलन भरे जी से जला ,
तन-मन मे कचरा भरा , क्या रख्खा श्रृंगार मे !१!
बात करें जब नूर की ,
रंग गई कोहिनूर की , देने को उपहार मे !२!
चन्दन लगे लिलाट पे ,
पोथी पढते खाट पे , देखा उनको बार मे !३!