तेवरी
भूत-प्रेत जैसे इंसान
थर-थर कांपें सबके गात। काली रात।।
खुश हैं उल्लू और सियार
कहीं न दिखता सुखद प्रभात। काली रात।।
बढ़ने लगा सियासी ख़ौफ़
चीख़ों में सबके जज़्बात। काली रात।।
बढ़ती जाती चीख़-पुकार
नेता करें घात-पर-घात। काली रात।।
बहन-बेटियों के सँग रेप
विलख रही है नारी जात।काली रात।।
*रमेशराज