#तेवरी-
#तेवरी-
■ नासूरी फोड़ों पर…!!
【प्रणय प्रभात】
– चाय से चर्चा शुरू हुई, आ गई पकोड़ों पर।
काहे को विश्वास जताया कागभगोड़ों पर??
– अपनी झुर्री भूल चुके हैं ऐसा लगता है।
तभी करेले तंज़ कर रहे आज ककोड़ों पर।।
– दौर गया जब अस्तबलों में मालिश होती थी।
अब खच्चर कर रहे सवारी अरबी घोड़ों पर।।
– नीम-हक़ीमों के हाथों में ठेका हिक़मत का।
काली मिर्ची बुरक रहे नासूरी फोड़ों पर।।
– काठ की हंडिया एक नहीं दस बार जली लेकिन।
धोखे खा कर किया भरोसा सिर्फ़ लपोड़ों पर।।
– वही कहानी वही सियासत वही नतीजे हैं।
बहुतों ने हमला बोला है अक़्सर थोड़ों पर।।
– बाक़ी सारे मसले ख़ुद ही हल हो जाएंगे।
शोध करो सब आज पेट में उठी मरोड़ों पर।।
– कुर्ते-पाजामे पर टाई, लुंगी ऊपर कोट।
मूरख हैं जो आस रखें फूहड़ गठजोड़ों पर।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)