तेवरी में सही दिशा-ज्ञान। *उमेशचन्द्र मिश्र
‘तेवरी’ का बदलता तेवर समाज में फैले भ्रष्टाचार, जमाखोरी, बेईमानी, रिश्वतखोरी, अशिक्षा, बेकारी, राजनीतिक पैंतरों, धर्म, जाति, भाषा, प्रान्त इत्यादि समस्याओं से जूझते हुए मानव को दिशा-ज्ञान देने का एक सार्थक प्रयास है। तेवरी दिशाहीन युवाओं को न केवल दिशा-ज्ञान ही करायेगी, वरन् इस दूषित व्यवस्था को बदल कर स्वस्थ मानसिकता वाले समाज की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगी।
‘तेवरी’ वास्तव में पत्रिकाओं की इस बाढ़ में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए, समाज के वातावरण को दूषित एवं विषाक्त बनाने वाले सत्तालोलुप कीटों को नष्ट करते हुए स्वस्थ साहित्यिक माहौल कायम कराने की एक महत्वपूर्ण कड़ी सिद्ध होगी ताकि फिर से एक बार प्रेमचन्द्र, रामचन्द्र शुक्ल, महावीर प्रसाद द्विवेदी, जयशंकर प्रसाद, निराला आदि की लेखन-परम्परा समाज में स्थापित हो सके तथा पतनोन्मुख समाज में फिर से एक बार पठन-पाठन का माहौल बदलते तेवर के रूप में स्थापित हो सके।