#तेवरी / #अफ़सरी
#तेवरी / #अफ़सरी
(ठेठ देशी ठाठ की एक ग़ज़ल)
【प्रणय प्रभात】
■ केवल ज्ञापन लाया है बे!
किस बस्ती से धाया है बे??
■ भूल गया क्या विप्र सुदामा?
बिना पुटलिया आया है बे!!
■ न्हा-धो के टिपटॉप तो होता!
कैसा स्वांग बनाया है बे!!
■ बिसर गया सब सेवा-पूजा?
किस जननो का जाया है बे??
■ लगता था कुछ है अंटी में।
तब तुझको बिठलाया है बे!!
■ पेट दिख रहा फूला-फूला!
सुबह-सुबह क्या खाया है बे??
■ छोड़ ये बातें इतना बतला!
अब के क्या उपजाया है बे??
■ कुछ लाता सीधे आ जाता।
बेमतलब भैराया है बे!!
■ हम को पीपल समझ रहा है!
तू क्या कोई साया है बे??
■ एक रोज़ में न्याय मिलेगा!
ये किसने भरमाया है बे??
■प्रणय प्रभात■
सम्पादक/न्यूज़ & व्यूज़
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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#मुंशी_प्रेमचंद_के_युग_को_जीवंत_रखे__है_नौकरशाही_आज_भी