तेरे सपनों के खातिर
तेरे सपनों के खातिर
मैं,अपना सब कुछ भूल गया
जीता था मै जिन सपनों के लिए
उन सपनों को भी मैंने
तेरे खातिर कुचल दिया
तेरी चाहत थी उड़ान भरने की
तो मैंने तुझे पंख दिये
तुमने जो मांगा जिंदगी से
वो लाकर मैंने तुम्हें दिया
फिर क्या कमी रह गई थी मेरे प्यार में
जो तुम मुझे धोखा देकर चली गई
यू जाते जाते मेरे अरमानो का
गला घोंट कर चली गई
मै था ही बेवकुफ,जो तेरे खातिर
अपना सब कुछ कुर्बा कर दिया
क्या पता था की तु निकलेगी बेवफा
शायद यही मेरे प्यार का सिला था
श्री रावत,,,,