“तेरे शहर में“
तेरी याद फिर खींच लाई, मुझे तेरे शहर में
कैसे जिए तेरे बिना, हम तेरे शहर में,
हर शै मिलते ही तेरा पता पूछती है,
कहां है मंजिल राह सोचती है,
भटकता फिर रहा हूं मै,
सनम तेरे शहर में,
तूने दिल दीवाना कर रखा है,
लोगों ने बेगाना कर रखा है,
किस से हाल-ए-दिल कहूं,
ज़ालिम तेरे शहर में,
जमाने की हर रस्म तोड़ने वाला हूं,
तेरी कसम, दुनिया छोड़ने वाला हूं,
मेरे रकीब भी सोचेंगे,
“साहिब” क्यों आया तेरे शहर में,