तेरे शब्दों के हर गूंज से, जीवन ख़ुशबू देता है…
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
मधुबन खुशबू देता है
ट्रेन छुक छुक चलता है
हर पेड़ छूटता जाता है
ऐसे में मंज़िल आता है
प्रेम की चादर ओढ़ कर
मन तुमको ही भाता है
तेरे शब्दों के हर गूंज से
जीवन ख़ुशबू देता है…