तेरे लिए
तेरे लिए।
आ नव बसंत खिलादूं,
मैं सजनी तेरे लिए।
खुशियां अपार अनन्त फैलादूं
तेरी खुशियों के लिए।
फागुन के रंग मंगादूं,
तेरे गालों के लिए।
सुरभित सुंदर सुमन मंगादूं,
तेरे बालों के लिए।
चांद या फिर तारे लादूं,
तेरी चाहत के लिए।
दिल खोलकर भी अपना दिखादूं,
तेरी इनायत के लिए।
नीलम शर्मा