— तेरे लब खुले तो —
चेहरा भी क्या चीज बनाया रब ने
कभी खिलता है, कभी मुरझाता है
मुस्कुराने को दे दिए दो लब सब को
जिसके खुलते ही राज खुल जाता है !!
किसी की तरफ लोग आकर्षित होते
किसी के लब खुलते ही दूर हैं होते
कितना छुपा है राज इन होठों में
जिन को देखते ही कुछ होश खोते !!
मुस्कुराती तस्वीरों से लोग धोखा खा जाते
पास में जाने को सब बेताब हो जाते
मुलाकात का दिन भी मुक़र्रर कर जाते
नजदीकी हालात देख कर फिर हैं रोते !!
बड़ी कशमकश से भरी है दुनिया
बड़े बड़े इन लबों के जाल में फस जाते
बना लेते हैं अनगिनत से वो ख्वाब मन में
एक ही मुलकात में अपना सब खो आते !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ