तेरे मेरे प्यार की कविता
स्त्री-पुरुष के बीच
प्रथम प्यार
विवाहित जोड़े की
प्रथम संतान जैसा होता है ।
वय-संधि के समय
पैदा हुई इस संतति को
हर कोई जीवन पर्यंत
अमर रखना चाहता हैं ।
प्रेम विवाह होने के बाद
यह अवैध संतान
कुपोषित मार्ग से चलकर
कराहती रहती है ।
आज के असफल हीर राँझाओं की
मेरी और तुम्हारी प्रेम कविताएँ
गुलगुले, रसगुल्ले खाकर
रोती सी लगती यही कहती है ।
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