तेरे मेरे दरमियान (गज़ल)
तेरे मेरे दरमियान/मंदीपसाई
तेरे मेरे दरमियान कुछ तो बाकि है,
आँखो में अभी भी चाहत बाकि है।
होता क्यों हर पल अहसास तुम्हारा,
हवाओं में तुम्हारी खुसबू अभी भी बाकि है।
छुआ है अभी तो दिल को,
अभी तो रूह को छुना बाकि है।
आँखो में आँखे मिली है अभी अभी,
अभी तो आँखो का इजहार बाकि है।
रुलाया है अभी तो तुम्हारी तन्हाईयो ने,
अभी तो तुम्हारी चाहत में हँसना बाकि है।
जाओ ना दिलबर दूर हम से,
अभी तो सासों में तुम्हारी समाना बाकि है।
बैठ जाओ पास आ कर हमारे,
अभी तो फुर्सत से निहारना बाकि है।
करता कितनी महोबत “मंदीप” तुम से,
अभी तो इस जहान को बताना बाकि है।
मंदीपसाई