तेरे बिन
आंखों से आंखों की भाषा पढ़ लेता हूँ
तुझको पाने की अभिलाषा कर लेता हूँ
जीवन गठरी धीरे धीरे रीत रही है
असमंजस के जोङ गुणा में बीत रही है
आएगी तू प्रतिदिन आशा कर लेता हूं
तुझको पाने की अभिलाषा कर लेता हूँ।।
अपना सब कुछ तुझ पर मैं न्यौछावर कर दूं
तेरे मन की इच्छाओं की गागर भर दूं
तू क्या सोचे मैं जिज्ञासा कर लेता हूँ
तुझको पाने की अभिलाषा कर लेता हूँ।।
मिल जाए तू जीवन को मंजिल मिल जाए
सूना सूना मेरा घर आंगन खिल जाए
जीवन की नव नव प्रत्याशा कर लेता हूं
तुझको पाने की अभिलाषा कर लेता हूँ।।