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18 Sep 2017 · 1 min read

====तेरे बिन सूनी अँखियाँ ====

धुल गया सब श्रृंगार विरहन का,
बाट निरख पथराए नयना।।
घुल गया सारा प्रणय अश्रु संग,
चक्षु हुए हैं रीते प्याले।।
अब आओ है श्वास उद्वेलित,
है तुम बिन निष्प्राण सुकुमारि।।
प्रिय समझो अंखियों की वाणी।।

——रंजना माथुर दिनांक 25/06/17
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना ©

Language: Hindi
346 Views
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