तेरे बिना
लेखक डॉ अरूण कुमार शास्त्री
भाषा हिंदी
विषय तेरे बिना
विधा स्वच्छंद कविता
शीर्षक जीना मुश्किल
तेरे बिना जिंदगी है अधूरी मगर जीना मुश्किल।
तू है तो है खुशी सब ख्वाहिश हो जाती पूरी ।
सपना है हम दोनों का साथ मिल कर चलेंगे ।
वादे पूरे करने में सफल साथ साथ ही रहेंगे।
हांथ न छोड़ेंगे कभी भी साथ जो जिए तो साथ ही रहेंगे।
उदास क्यों है मन तेरा प्यार क्या हो रहा है मेरा ।
हो सकता है कुछ कुछ मशगूल हो गया हूं मैं।
रोज़ी रोटी कपड़ा मकान की आपूर्ति में खो गया हूं मैं।
पर भुला दूं तुझको न ऐसा हो सकता न ही होगा कभी ।
तेरे बिना ओ जानिया तेरे बिना ओ जा जा जानिया ।
तेरे बिना जिंदगी है अधूरी मगर जीना मुश्किल।
तू है तो है खुशी सब ख्वाहिश हो जाती पूरी ।