तेरे बिना
तेरा मिलना
तेरा बिछड़ना
क्या से क्या
मुझे कर गया
ज़िंदा तो मैं
पहले भी न था
लेकिन तेरे बिना
अब मर गया…
(१)
उस रात जब
शहनाई बजी
मुझ पर ही मेरी
तनहाई हंसी
दर्पण में जो
देखा चेहरा तो
अपने आप से
ही मैं डर गया…
(२)
जैसे अपना
सबकुछ हारकर
लौटा करता है
जुआरी कोई
तेरी डोली के
जाने के बाद
इस तरह मैं अपने
घर गया…
(३)
आई है फिर
बहार तो क्या
मौसम में है
निखार तो क्या
जिस दुनिया में
तेरा प्यार नहीं
उस दुनिया से
मेरा दिल भर गया…
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Shekhar Chandra Mitra
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