तेरे बिना क्या जीना “माँ”
माँ मैं जा रहा हूँ घर छोड़ के
याद आएगी तुम्हारी, मिल लेगे नयन बंद कर के I I
माँ मैं सदैव बढ़िया रहूँगा, अपना ख्याल रखना
तुम्हारा हीरा हूँ ना, मुझे हृदय में संभाल रखना I I
माँ मैं दूर रहूँगा तुझसे, मेरी हरकत तुम्हें याद रहेगी
सफल होकर जल्दी आऊं, ऐसी ख़ुदा से फरियाद रहेगी I I
माँ मुझे कहाँ शौक की तुम्हारे साये से दूर रहूँ
दिल कहता है हर लम्हा तुम्हारे आंगन में मशहूर हूँ l l
माँ तुम्ही ना कहती हो, तुम्हें सभ्य नागरिक बनाऊँगा
हमारी दुआओ में क्या असर है, कभी दिखाऊंगा l l
सिर्फ़ अपना काम सही से करना
बेटा, बगावत किसी से मत करना
जब कभी भी उदास होना
तो अपनी माँ से बात करना I I
तब माँ दिखाएगी, दुआओ में कितना असर होता है
कोई दूर रहकर भी कैसे अपने माँ के पास रहता है l l
माँ यहाँ सब कुछ जन्नत जैसा है
फिर भी तेरे बिना जीना ये कैसा जीना है l |
– मनीष रायटर l
बेगूसराय, बिहार