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20 Dec 2024 · 1 min read

तेरे दिल तक

तुम्हारे दिल तक हम पहुंच ही नहीं पाये।
तेरे ज़ेहन जैसा हम सोच ही नहीं पाये।

दिल तेरे में रवां थे ख्वाबों के कई दरिया
इक ख्वाब भी हम दबोच ही नहीं पाये ।

ख्वाहिशें मदमस्त नाचती थी तेरे दिल में
चाह रही लेकिन सीख लोच ही नहीं पाये।।

बार बार इश्क़ की तमन्ना उठी मन में
हया के मारे हम छोड़ संकोच ही नहीं पाये।

वक्त की धूल तले दफ़न थे हजार अरमां
सोचते रहे मगर उसे खरोच ही नहीं पाये ।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
7 Views
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