तेरे जाने के बाद
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जी भर के रोया तेरे जाने के बाद
था मन घबराया ,तेरे जाने के बाद
बीते लम्हें वापिस हाथ हैं आते कहाँ
खोया क्या पाया ,तेरे जाने के बाद
मन के हारे ही कहते होती है हार
खुद से ही हारा, तेरे जाने के बाद
आँसुओं का सैलाब है खत्म हो गया
आँखें भर आई ,तेरे जाने के बाद
प्रेम तेरा हमें हुआ मुनासिब ही नहीं
तन्हाई में तन्हां, तेरे. जाने के बाद
सुखविन्द्र कैसे तुम्हें है भूल पाएगा
याद आने लगी , तेरे जाने के बाद
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)