तेरे जाने का गम मुझसे पूछो क्या है।
तेरे जानें का गम मुझसे पूछो क्या है।
मेरी दुनिया खतम अब इस जीवन में क्या है।
सारी रौनके, सारी हसरते अब न पूछो मुझमें क्या है।
जिंदा तो हूं पर कहूं क्या मौत का एहसान क्यों है।
जितने अच्छे लोग थे जमाने में।
उनका जीवन यहां पर इतना कम क्यों है।
है खड़े जो महल तेरे सपनो के पांव तल।
मैं तो सोचा जो कभी भी न था।
क्यूं गए मेरे आंख से आंसू निकल।
आपके साथ से मिलता था साहस।
था मां जैसे मुझपर आंचल।
तू गया कहां छोड़ के।
ये बंधन तोड़ के।
बुरा है हाल मेरा यहां हर पल रो रोके।
थी भीड़ कितना तेरे जनाजे में।
जिसको था पढ़ाया सब रो रहे आहों में।
तेरी मिट्टी की सुगंध इस शिक्षा भूमि पर।
जब देखता हूं वो टेबल तेरे ठिकाने का।
कौन संभाले वो पद अब जाने वाले का।
टूटा हुआ मैं तो कोई तारा नही।
साथ था भईया आपका ।
मैं बेसहारा तो नही।
इस कलेजे में है आग फिर भी जीना पड़ता है।
ये तो सबको ज्ञात है।
एक दिन तो सबको ही मरना पड़ता है।
तेरे याद में कुछ करूं कुछ नाम रखूं तेरे नाम को।
दुनिया ये जाने तेरे जाने के पहले के काम को।
मरने वाला आजतक वापस कोई आया नही।
जो है इस इस धरा के लाल ।
उसे कोई भुलाया भी नही।
कोई हर रोज नया पैदा होता है।
कोई हर रोज इस दुनिया से विदा लेता है।
सृष्टि का दस्तूर यही ।
कोई पास तो कोई बहुत दूर रहता है।
शत शत नमन🙏भावभीनी श्रद्धांजलि हमारे चहेते हमारे मुस्कुराहट, मार्गदर्शक, मेरे परम मित्र, सबको सम्मान देने वाले, समदर्शी क्यों इतना जल्दी छोड़कर चले गए अरविंद सर।