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21 Mar 2020 · 1 min read

तेरे घर से हवा

तेरे घर से हवा कभी जब आई होती है,
सौंधी-सौंधी होती है, मुस्काई होती है,
तूफां और सुनामी भी कर क्या पाए मेरा,
पर उसकी नजरों से बहुत तबाही होती है,
तू ताल, साज, सरगम तू ही मेरा नग़मा है,
गज़ल किसे कहते हैं क्या ये रुबाई होती है,
तूने जब जब मुझको अपने से लिपटाया है,
तब तब दिल के जख्मों पे तुरपाई होती है,
अरमां बदले, मौसम बदले, नक्शे बदल गये,
साकी की मुस्कान बड़ी हरजाई होती है,
फिक्र करो मत ज्यादा ज्यादा, खुश भी रहा करो
कुछ गर खो जाये तो फिर भरपाई होती है,

पुष्प ठाकुर

1 Like · 1 Comment · 595 Views
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