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4 Oct 2021 · 1 min read

तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं

तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं
शाम है तू,उजालों की दुनियाँ हूँ मैं

जबाब मयस्सर हों तो आना कभी
अनगिनत सवालों की दुनियाँ हूँ मैं

मेरी महफ़िल मे सच हार जाता है
झूठों की,दलालों की दुनियाँ हूँ मैं

मेरा अतीत खून खराबों से भरा है
झंझट की,बबालों की दुनियाँ हूँ मैं

परिंदों से कहो होशो हवास मे उड़ें
शिकारी हूँ,जालों की दुनियाँ हूँ मैं
मारूफ आलम

2 Likes · 4 Comments · 230 Views

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