तेरे ऐतबार मे रहे
जब तक जिये तेरे ऐतबार में रहे
हम तो उम्र भर तेरे इंतज़ार में रहे
और कुछ न दिखाई न सुनाई दिया
हम इस कदर तेरे हिसार मे रहे
क्या कहूं इश्क़ में कितनी रुसवाई हुई
हम सुर्खियां बन के अखबार में रहे
मेरे किरदार पे उंगलियां उठा रहे हैं वो
जिनके ज़मीर मुद्दतों बाज़ार में रहे
रूह मोहब्बत की मंज़िल तक पहुंच गई
जिस्म भले ही चुने हुए दीवार में रहे