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11 Dec 2016 · 1 min read

तेरे ईश्क़ को सलाम दिल-ए-बहारा कर लें

तेरे ईश्क़ को सलाम दिल-ए-बहारा कर लें
हसरत है जुग्नुओं को भी अब सितारा कर लें

मुझे आईना बना लो तुम फिर ख़ुद को देखना
कैसे गिरती हैं बिजलियाँ नज़ारा कर लें

मिला वो शाम-ए-ज़िंदगी तो जागी ये हसरत
क्यूँ ना सफ़र-ए-ज़िंदगी हम दोबारा कर लें

मिरे हिस्से की ज़मीं तिरे हिस्से का आसमाँ
कुछ तेरा कुछ मेरा मिला कर हमारा कर लें

तबीयत लोहे की हो चली थी ए हबीब अब
नाज़ुकी का मौसम आए तुझे सहारा कर लें

पत्थर हूँ मुझे तराश दो ताजमहल की तरह
दुनियाँ वाले अपना भी कभी नज़ारा कर लें

मौजों से उलझने का मज़ा आयेगा’सरु’अब
कोई बताए क्यूँ किनारों पर गुज़ारा कर लें

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