तेरी फ़िक्र क्यों करता दिल मेरा/मंदीप
तेरी फ़िक्र क्यों करता दिल मेरा/मंदीप
तेरी फ़िक्र क्यों करता दिल मेरा मुझे पता नही,
हर पल तेरा जिक्र क्यों करता दिल मेरा मुझे पता नही।
तुम को चाहने की आदत सी हो गई,
ये आदत अच्छी है या बुरी पता नही।
देखे जो तेरे संग जो सपने जीने के,
वो कभी पुरे होंगे या नही पता नही।
तुम हो तो में हूँ इस जहान में,
उस के बाद क्या होगा कुछ पता नही।
पीड़ चलने लगी तेरे नाम की मेरे गात में,
ये कब ठीक होगी या नही मुझे पता नही।
है इंतजार “मंदीप” को एक होने का,
कब हम एक होंगे या नही पता नही।
मंदीपसाई