तेरी ही याद करते है।
चांदनी के साए में हम यूं ही पीकर बैठे है।
हर वक्त ना जानें क्यों तेरी ही याद करते है।।
इतने शोर था मयखाने में वहां ना चढ़ी हमें।
इसलिए कमर को देख कर छत पर पीते है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍
चांदनी के साए में हम यूं ही पीकर बैठे है।
हर वक्त ना जानें क्यों तेरी ही याद करते है।।
इतने शोर था मयखाने में वहां ना चढ़ी हमें।
इसलिए कमर को देख कर छत पर पीते है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍