Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2020 · 1 min read

{{ तेरी ही खुशबू आती है }}

मेरी ज़िंदगी मेरी कहाँ सुनती है,
कठपुतली सी मुझे रोज़ नचाती है।

मोहब्बत में सब नाम लेते हैं कृष्ण का,
मेरी ज़ुबा नाम तुम्हारा लेती है।

तूने आशिक़ी भी की मुझे अब्र की तरह,
जब चाहा छाव हो, तभी बारिश होती है।

तुमसे मिल कर जब भी आते है हम,
मेरे बदन से तेरी ही खुशबू आती है।

तू मुझसे छूट कर बसना चाहता हैं किसी और निगाह में,
मेरे लबों पे अब सिर्फ खामोशी रहती है।

क़दीम इश्क़ है मेरा दर्द से,
बदन पिज़र सी महसूस होती है।

बहुत चाहा के रोक लू खुशियो को आँचल में,
लेकिन वो कहा कभी रुकती है।

आज जो कह दिया अपने हक़ में कुछ,
सब को मेरी ये ज़ुबा चुभती है।

Language: Hindi
6 Likes · 411 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रावण था विद्वान् अगर तो समझो उसकी  सीख रही।
रावण था विद्वान् अगर तो समझो उसकी सीख रही।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
फ़ितरत नहीं बदलनी थी ।
फ़ितरत नहीं बदलनी थी ।
Buddha Prakash
Raksha Bandhan
Raksha Bandhan
Sidhartha Mishra
"निशान"
Dr. Kishan tandon kranti
कैसी-कैसी हसरत पाले बैठे हैं
कैसी-कैसी हसरत पाले बैठे हैं
विनोद सिल्ला
" खामोश आंसू "
Aarti sirsat
🚩वैराग्य
🚩वैराग्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak
■ लघुकथा / सौदेबाज़ी
■ लघुकथा / सौदेबाज़ी
*Author प्रणय प्रभात*
बेइमान जिंदगी से खुशी झपट लिजिए
बेइमान जिंदगी से खुशी झपट लिजिए
नूरफातिमा खातून नूरी
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सुविचार..
सुविचार..
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मॉं करके शेर सवारी, हर दो जग के दुख भारी (भक्ति गीत)
मॉं करके शेर सवारी, हर दो जग के दुख भारी (भक्ति गीत)
Ravi Prakash
जन्म मृत्यु का विश्व में, प्रश्न सदा से यक्ष ।
जन्म मृत्यु का विश्व में, प्रश्न सदा से यक्ष ।
Arvind trivedi
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
💐प्रेम कौतुक-454💐
💐प्रेम कौतुक-454💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुना है सकपने सच होते हैं-कविता
सुना है सकपने सच होते हैं-कविता
Shyam Pandey
Ram
Ram
Sanjay ' शून्य'
दुनिया में लोग अब कुछ अच्छा नहीं करते
दुनिया में लोग अब कुछ अच्छा नहीं करते
shabina. Naaz
मुक्तक
मुक्तक
कृष्णकांत गुर्जर
देर आए दुरुस्त आए...
देर आए दुरुस्त आए...
Harminder Kaur
माँ!
माँ!
विमला महरिया मौज
घर नही है गांव में
घर नही है गांव में
Priya Maithil
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
शेखर सिंह
प्रयास
प्रयास
Dr fauzia Naseem shad
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
Atul "Krishn"
दो पल देख लूं जी भर
दो पल देख लूं जी भर
आर एस आघात
जपू नित राधा - राधा नाम
जपू नित राधा - राधा नाम
Basant Bhagawan Roy
3264.*पूर्णिका*
3264.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इशारों इशारों में मेरा दिल चुरा लेते हो
इशारों इशारों में मेरा दिल चुरा लेते हो
Ram Krishan Rastogi
संविधान का पालन
संविधान का पालन
विजय कुमार अग्रवाल
Loading...