तेरी ये खुदाई।
नजर-नजर की बस यही तो कहानी है |
अमीर का मोती और गरीब का पानी है ||1||
ऐ खुदा तू ही जाने कैसी तेरी ये खुदाई |
गरीब की दासी और अमीर की रानी है ||2||
बिक जाती है तकदीरें कुछ ही पैसों में |
इतनी सस्ती देखो गरीबों की जवानी है ||3||
ना बनो झूठे रहनुमा तुम हम गरीबों के |
दहशतगर्दी ही बस तुम्हारी निशानी है ||4||
कहते हैं लोग उसको मौत का सौदागर |
फिर क्यों दुनिया उसकी इतनी दीवानी है ||5||
हमने तो छोड़ दी थी आस अपने जीने की |
पर अभी जिंदा है सब तेरी ही मेहरबानी है ||6||
अल्फाजों से खेलना छोड़ दो ऐ हुक्मरानों |
जुमलों की यह सियासत तो अब पुरानी है ||7||
ताज मोहम्मद
लखनऊ