तेरी याद
ज़िन्दगी के मेले में भीड़ में अकेले में
शहर में कि गांव में, धूप और छाँव में
भुला ना पाया मैं तुम्हें, निभा भी ना पाया मैं तुम्हें
कैसा वो दोराहा था, मैंने तुमको चाहा था
एक दूजे के वास्ते, बदल गए थे फिर रास्ते
नींद थी, खुमार था, खता थी या प्यार था
चंद कदमो तक चला, साथ जो तेरा मिला
जिंदगी के मोड़ पर, तू गया जहाँ छोडकर
सज़दे किए मांगी दुआ, तू जुदा मुझसे हुआ
पा सका न खो सका, तू न मेरा हो सका
चेहरा मेरा जरद है, सांस ठहरी सरद है
पुकार लो एक पल, संवार लो एक पल
हसीं पल वो याद है, दिल में एक फरियाद है
आखिरी दीदार कर लू, इश्क़ फिर एक बार कर लूं