तेरी याद है हम हैं और मय की मुखतारी है
तेरी याद है हम हैं और मय की मुखतारी है
धुआं धुआं है कमरा और दिल में दुश्वारी है।
जाने शराब पी है हमने या पी गया है शराब मुझे
लड़खड़ाते बदन पे जाना तेरे नाम की इस्तहारी है ।
कलेजे में जाने क्यूं अजब सी खाक ए ख़ल्वत है
दो टूक कलेजे को कर के चखने की अब तैयारी है
दिल को जुदाई में आखिर तसल्ली ही क्यूं दूं मैं
जलता है तो जलने दो इसकी यही तो मेयारी है ।
अब तुम रहे कहां गैर जाना सांसों में तुझे पाती हूं
आज बहुत देर तक हमने सांसो में तुम्हे उतारी है ।
निकले न यार का नाम गले से मेरे पुर्दिल बस
गर्म लहू को होठों से छलक जाने की बीमारी है
~ सिद्धार्थ