तेरी याद में …( स्व मोहम्मद रफी साहब के साज़ो की दर्दभर दास्तां)
तेरी याद में खोयी है वीणा तेरी ,
और सितार का है मन उदास।
हारमोनियम ,तानपुरा ,तबला ,
सभी को है तेरी उँगलियों की आस।
वह स्पर्श,वह एहसास तेरा ,
भुलाये नहीं भूलता उन्हें ।
वह संगत साज़ों की ,
वह रंगत जज़्बातों की ,
वह स्वर-लहरिओं का जादू ,
नहीं भूलता उन्हें।
इनमें कुछ बात थी खास।
कभी आसमान सी ऊँची ,
कभी सागर सी गहरी ,
कब ही नदी सी चंचल ,
और कभी सहज ठहरी।
उस तान में डूब जाने का ,
अब भी होता है आभास।
वह तेरी शहद से मीठी आवाज़,
और आवाज़ में कशिश व् जादू ,
वह हुस्न तेरी अदाएगी का,
और दिलकश अंदाज़ का जादू ,
सुनकर लगता है जिसे अब भी ,
तू है हमारे आस-पास।
तेरी हर ख़ुशी ,हर गम में ,
तेरी ज़िंदगी के हर गाम में ,
वो रहे तेरे सहयोगी ,
मगर अब तेरे बिना ता -उम्र ,
के बन गए हैं रोगी।
अब कौन बिठाये उन्हें पास।
हर एक शय ,हर पल ,
तेरा इंतज़ार है अब भी ,
मालूम है तू नहीं आएगा ,
मगर फिर भी।
जाने क्यों में तेरे आने की है आस।
बड़ा याद आये तेरा मुस्काना ,
प्यार से उन्हें देखना ।
हाय ! भुलाये नहीं भूलता तेरा दुलारना ,
हमें बाँहों में लेकर।
खुद हमारे तन से धूल झाड़ना ,
पोछना , करीने से रखना ,
ढककर ,संभालकर ,
कौन करे अब उनकी संभाल ?
तेरी वियोग अनाथ हो गए तेरे साज़।
उनका जीवन हुआ था सार्थक ,
तेरे सानिध्य में आकर ,
तुझसे ही मिला हमें सम्मान ,
बेशुमार प्यार ,तुझे पाकर।
ओ हमराही ,ओ हमजोली ,
वो तेरे सच्चे दोस्त थे खास।
यूँ तो तेरे प्रेमी,तेरे आशिक़ ,तेरे पुजारी ,
पहले भी थे और अब भी है और रहेंगे।
तुझे हद से जायदा प्यार करते हैं ,
और ता -क़यामत तक करते रहेंगे।
मगर अपने कद्रदानों में इन्हें ना भूलना ,
तुझे ऐ आवाज़ के जादूगर , ऐ स्वर -सम्राट ,
हम जीवन -भर ना भूलेंगे।
उनकी नज़र में तुम हमेशा रहोगे ख़ास।