तेरी यादों से कभी ना जाऊंगा मैं ..
माना की वो किस्से पुराने हुए,
दूर तुझसे मिलने के बहाने हुए
तो भी पलकों पे तुझको सजाऊंगा मैं,
तेरी यादों से कभी ना …
मध्यम हुए मेरे सुर, धीमे तराने हुए,
तुझसे मिले ओ हमदम, ज़माने हुए
तारा बनने तक तुझको गाऊंगा मैं
तेरी यादों से कभी ना …
तेरी झुकती सी नज़रों का काजल प्रिये
कभी नयनों से बरसा जो बादल प्रिये !
उस बारिश को कैसे भुलाउंगा मैं
तेरी यादों से कभी ना …
तेरे चेहरे की सिकुड़न, उलहाने, शिकन
मेरे हाथों पे तिरती , वो तेरी छुवन
लानत हैं ग़र जो भुलाऊँगा मैं
तेरी यादों से कभी ना …
किन्ही रंगीन घड़ियों में, तेरा आना हुआ
रोका जब भी मुझे, मेरा जाना हुआ
उस जाने पर सदा पछताऊंगा मैं
तेरी यादों से कभी ना…
सुनो, धरती से अंबर का नाता नहीं,
ग़र दिल में मेरे, जो तू आता नहीं
वो बंसी की धुन, मोरपंखी के रंग,
तेरे दिल में कही छोड़ जाऊंगा मैं
तेरी यादों से कभी ना जाऊंगा मैं
तेरी यादों से कभी ना जाऊंगा मैं
– © नीरज चौहान की कलम से.