तेरी यादों की किताब
तेरी यादों की किताब
आज भी मैंने सम्भाली हुई है
न जमी उसमे कोई धूल
इस तरह से मैंने उसे छुपा रखी है
काश की तुझे ये,कोई बताये
की मैं आज भी बस तेरा ही
इंतजार करता हूं
छोङ के गयी थी तू जिस दिन मुझे,
वो दिन मै,आज भी याद करता हु
क्या याद है तुम्हें वो दिन,
जब नही आती थी शायरी करनी मुझे
फिर भी मै तुम्हारे लिए शायरी करता था
और जब हँस देती थी तुम मेरी
बिन तुक की शायरी सुनकर
मेरा चेहरा भी तुम्हारी हंसी देख
मुस्करा जाता था
अब न तुम हो,और न तुम्हारी बाते है
न मेरी वो टूटी फूटी शायरी है
बस मेरे पास, बची तेरी यादो की
एक किताब है,,,
श्री रावत,,,,