तेरी मौन की भाषा समझता हूॅं…
तेरी मौन की भाषा समझता हूॅं…
तुझे सदा ख़्वाबों में ही रखता हूॅं!
प्रतिपल तुझे ख़्वाबों में सजाकर…
खुद को बड़ा ख़ुशनसीब कहता हूॅं!
…. अजित कर्ण ✍️
तेरी मौन की भाषा समझता हूॅं…
तुझे सदा ख़्वाबों में ही रखता हूॅं!
प्रतिपल तुझे ख़्वाबों में सजाकर…
खुद को बड़ा ख़ुशनसीब कहता हूॅं!
…. अजित कर्ण ✍️