तेरी मेरी मेरी तेरी यादें
लो फिर आ गई
तेरी दर्द भरी याद
जब हाथ लग गई
वो प्रेमभरी चिट्ठियां
हमारी चिट्ठियाँ
जो समेटे हुए थी
तेरा मेरा वाद-विवाद
ओर मधुर-संवाद
इजहार,इनकार
इकरार, तकरार
और मेरा-तेरा प्यार
वो सारी हमारी ढेर सारी
बातें,मुलाकातें,प्रेममयी सौगातें
हसीन दिन-रातें
तेरा प्रेमिल सानिध्य
संग साथ -साथ
हाथों में लिया हाथ
वो नर्म मार्मिक स्पर्श
कंपकंपाते फड़फड़ाते
गुलाबी सुर्ख अधरों का
अधरों से प्रथम मिलन
हमारे भावुक जज्बात
दिल के स्वर्णिम अरमान
आँखों में संजोए सपने
जो थे कभी अपने
और फिर वो अकस्मात
असहनीय निष्ठुर आघात
जिसनें दिए थे तोड़
सभी स्वप्न,अरमान
कर दिया मुझे दूर
तेरी नजरों से बहुत दूर
जहाँ ना पहुँच पाए रवि
कोई भी जीव ,परिंदा
यदि पहुँच भी जाए तो
तोड़ दे अपना दम
बस यही तो रह गया है
मेरे पास ,तेरे पास
तेरी -मेरी ,मेरी- तेरी
हमारी खट्ठी मिठी यादें
सुखविंद्र सिंह मनसीरत