तेरी – मेरी कहानी, ना होगी कभी पुरानी
तेरी – मेरी कहानी
ना होगी पुरानी
मैं हूँ कृष्णा तेरा
तुम हों राधा दीवानी
जब-जब सुनाऊँ मैं कोई कविता
मुरली कि धुन तुम उसे समझना
ना कहना किसी को
ना सुनना किसी की
तुम बस सीधे दौड़े चले आना
मेरे हाथों से कलम छिन लेना
कलम को फ़िर तोड़-मोड़ देना
जो चलती है बस लिखने में
उन कविताओं का गाला घोट देना
फ़िर भी वो टूटी क़लम भी चलेगी
वो ना मेरी सुनाएगी, ना ये तेरी चलेगी
भले क़लम फिर ना चले कभी पर
राधा कृष्णा का संगम वो पूरी करेगी
तेरी – मेरी कहानी
ना होगी पुरानी
मैं हूँ कृष्णा तेरा
तुम हों राधा दीवानी
✍️ The_dk_poetry