तेरी मिट्टी के लिए अपने कुएँ से पानी बहाया है
तेरी मिट्टी के लिए अपने कुएँ से पानी बहाया है
पर जरासी छाँव के लिए तूने चश्म को रुलाया है
मेंरे ख़ुशी के खज़ाने पे तेरी बेगैरत नजरें पड़ गई
आँखों के ख़्वाबो को लूटकर तूने बहुत सताया है
✍️©®’अशांत’ शेखर
14/02/2023