तेरी महबूबा बनना है मुझे
मुझे तेरी कविता नहीं बनना
तेरी महबूबा बनना है मुझे
मैं नहीं चाहती तुझे जुदाई मिले
तेरे दिल की धड़कन बनना है मुझे
कविता तो पढ़ेगा हर कोई
सिर्फ़ तेरा ही बनना है मुझे
ज़िंदगी का सफ़र छोटा हो या बड़ा
ये सफ़र तेरे संग तय करना है मुझे
देखकर चांद में मेरी तस्वीर
ये सफ़र तय नहीं करना है तुझे
बनकर कवि या शायर फिर
गज़ल में बयां नहीं करना है मुझे
तेरी याद नहीं बनना
तेरी ज़िंदगी बनना है मुझे
पढ़े जाएं जिसके शेर महफ़िल में
वो गज़ल नहीं बनना है मुझे
तेरे आंसुओं कारण नहीं बनना
तेरी हर खुशी बनना है मुझे
तेरी ज़िंदगी का नासूर नहीं
वफ़ा की मिसाल बनना है मुझे
तेरी आरज़ू नहीं बनना
तेरा नसीब बनना है मुझे
जिसके लिए तरसता रहे तू उम्रभर
वो प्यास नहीं बनना है मुझे।