तेरी भी खता है – डी के निवातिया
ख़ुदा की रज़ा क्या है ये किसे पता है,
किसी और को दोष देना बड़ी धता है!
जो भी हुआ है सबक ले कुछ इस से,
कभी तो समझ इसमे तेरी भी खता है!
खड़े थे जो कल तक सामने हाथ जोड़े,
नहीं आज किसी का भी अता-पता है!
वक़्त बताता ही है सबकी हकीकत,
रहनुमा जो बनते थे सभी लापता है !
उबरना होगा “धर्म” खुद ही हम सबको,
ज़माने पर आयी जो भयंकर विपदा है!!
डी के निवातिया