तेरी नाराजगी
तेरी नाराजगी मुझको, यूँ ही हर पल सताएगा,
तुझे न मैं भूल पाऊंगा, तुझे न दिल भूल पाएगा।
तेरी यांदे तो रह रह कर, मुझे ऐसे ही रुलायेगा।
तुझे न मैं भूल पाऊंगा, तुझे न दिल भूल पाएगा।।
तेरी नाराजगी मुझको……
कभी अठखेलियाँ तेरी, मेरे मन को लुभाया था,
मगर छुप जाएगा ऐसे, ये दिल न जान पाया था।
इशारों से ही कह देता की, तुझे वो चाँद लेना है।
तो संग तारे भी ले आता, मैं वो जज्बात पाया था।।
तू खुद जा बैठा काहे क्या, मुझे युँ आजमाएगा,
तुझे न मैं भूल पाऊंगा, तुझे न दिल भूल पाएगा।
तेरी नाराजगी मुझको, यूँ ही हर पल सताएगा,
तुझे न मैं भूल पाऊंगा, तुझे न दिल भूल पाएगा।।
तेरी नाराजगी मुझको……
धरुँ क्या रूप साबित्री, लडू क्या मैं ज़माने से,
बदल कर रीत दुनियाँ की, बुला लूँ गाँ तराने से।
भले रूठें बिधाता ही, भले हो कायनात में हलचल,
चाहे अम्बर ही फट जाए, मेरे ऐसे फ़साने से।।
तू बस एकबार ये कह दे, की फिर से लौट आएगा,
तुझे न मैं भूल पाऊंगा, तुझे न दिल भूल पाएगा।
तेरी नाराजगी मुझको, यूँ ही हर पल सताएगा,
तुझे न मैं भूल पाऊंगा, तुझे न दिल भूल पाएगा।।
तेरी नाराजगी मुझको……
मुझे किस भूल की है सजा, माफ मेरी खता करना,
मेरे चाहत का तुझको क्यों, पता न चला पता करना।
तू चाहे अब जहां रह ले, इतनी सी वादा तो कर ले।
फिर से आना मेरे घर तू, करम ये मुझपे अता करना।।
मुझे आबाद कर देना, चिद्रूप अरदास लगाएगा।
तुझे न मैं भूल पाऊंगा, तुझे न दिल भूल पाएगा।
तेरी नाराजगी मुझको, यूँ ही हर पल सताएगा,
तुझे न मैं भूल पाऊंगा, तुझे न दिल भूल पाएगा।।
तेरी नाराजगी मुझको……
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २५/१२/२०१८ )