तेरी नजरों में -तू बेकसूर थी
तेरी महफ़िल में हम भी थे ,तू नशे में चूर थी।
हमने रोका टोका तुझको, तू चली जा रही दूर थी ।
तेरी नजरों में– तू बेकसूर थी !
नशा जब उतरा तेरा, हम महफिल छोड़ चुके थे।
तब शायद जरूरत तुझे ,हमारी जरूर थी।
तेरी नजरों में– तू बेकसूर थी !
तू भी क्या करें ,तुझे जबरन पिलाया था।
उसी के मद में, तू मगरूर थी।
अब खोजती हो, गलियों गलियों मुझे।
मैं मंजिल पा चुका था, तू बेकसूर थी।
तेरी नजरों में — तू बेकसूर थी !
हां वादा करता हूं ,अगले जनम तुझे ही मांगूंगा।
बचे जीवन में तो ,अब वही मेरी हूर थी।
तेरी नजरों में –तू बेकसूर थी !
मोहब्बत के इस अफसाने को, अब भूल जा अनुनय।
मै गरीब, तू दौलत से भरपूर थी।
तेरी नजरों में — तू बेकसूर थी !
मैंने कुछ तो नहीं मांगा था, बस तेरी सेवा के सिवा।
पर तेरी नजरों में तो ,यह भावना ही काफूर थी।
तेरी नजरों में –तू बेकसूर थी !!
राजेश व्यास अनुनय