तेरी तस्वीर
मेरी आँखों में देख दिलबर तेरी तस्वीर नज़र आती है
सूखा है समंदर दिल का जमीं-कश्मीर नज़र आती है।।
ख्वाबों में तेरे हम आये ना, दिल से ख़बर आती है
सुबहा नहीं है हमको अलसुबह ख़बर आ जाती है।।
लब लबलबा गये हैं मगर अब लब पे क्यूं आती नहीं
कल कल-कल बहती नदी सागर तट क्यूं आती नहीं।।
बहरी है या पहरी कोई या फिर दीन उसका भी नहीं
ग़मगीन करके क्यूं मुझे अब जुर्म-संगीन वो कर गयी।।
मर रही है जिंदगी धीरे-धीरे मुझको वो मुर्दा कर गयी
मर गए अरमान सारे,हां रे हां रे हां बेसहारा कर गयी।।
मेरी आँखों में देख दिलबर तेरी तस्वीर नज़र आती है
सूखा है समंदर दिल का जमीं-कश्मीर नज़र आती है।।
मधुप बैरागी