तेरी तस्वीर सीने लगाई है
तेरी तस्वीर सीने लगाई है
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तेरी तस्वीर सीने लगाई है
मुझे तेरी मिली बेवफाई है
बेवफा ये जफा तुम्हारी है
प्रेम में सजा तूने सुनाई है
चाहना तुझे खता हमारी है
तभी तो हुई जग हंसाई है
कहाँ क्या कमी रह पाई थी
जिसकी तूने की भरपाई है
मेरे मनभावों को न समझा
उम्र भर की दे दी तन्हाई है
पग पग पर तुम्हे मनाते रहे
मेरे हिस्से तेरी रुसवाई है
प्रेमिल भावों को ना समझे
हमें मिली तेरी बेपरवाही है
तन मन के हम तो सच्चे थे
तेरे छलावे में मात खाई है
सुखविन्द्र है राहें भटक गया
हमें मंजिल नहीं मिल पाई है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)